आख़िर क्यों करना पड़ रहा है भारतीय किसान संघ को धरना प्रदर्शन और चक्का जाम! क्या बीजेपी सरकार से संतुष्ट नहीं अन्नदाता।

कवर्धा/पंडरिया 

बता दें कि जब से प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई है तब से किसानों का जीना दुशवार हो गया है पिछले छः महीने से किसानों को गन्ना का पैसा ही नहीं मिला है जिससे किसानों में काफ़ी रोष है और अपने ही मेहनत के पैसे के लिए किसानों को दर दर भटकना पड़ रहा है। 
बता दें किसानों के पास और कोई दूसरा साधन या एक्स्ट्रा इनकम का ज़रिया नहीं होने के कारण एक एक पैसे के लिए किसान मोहताज हो गये है। 
किसान हितैष की बात करने वाली बीजेपी की सरकार को किसानों की समस्या से कोई मतलब नहीं है इसीलिए तो छः महीने से किसानों को उनका हक़ का पैसा नहीं मिल पा रहा है। 
किसानों ने जब चक्का जाम का एलान किया तब कुछ स्थानीय नेताओं ने किसानों से संपर्क कर पैसा जल्द डलवाने का झूठा आवासन देने लग गए। 
मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में  सरदार वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारख़ाना में  एमडी के पद पर पदस्थ सतीश पाटले ने रिकवरी अमाउंट में भी लगभग ११ रुपए की कटौती कर करोड़ों का ग़बन कर दिया जिसके कारण किसानों को चक्का जाम या आंदोलन जैसे रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है सोचने वाली बात है किसान प्रमुख राज्य में सरकार तक अपनी बाते पहुँचाने के लिये किसानों को धरना चक्का जाम का सहारा लेना पड़ रहा है। 
इधर भड़के किसानों ने विधायक के बारे में भी बड़ी बात कह दी है कि सत्ता तो आते जाते रहती है अगर आज किसान अपने ही पैसे के लिए रोड में भटक रहा है तो आने वाले समय में बीजेपी सरकार को भी मजबूर नहीं कर दिये तो…
बीजेपी सरकार को अभी मोटा-मोटी साल भर भी नहीं हुए है और किसान निराश हताश हो गये है। किसानों को अभी मूल पैसा ही नहीं मिल पाया है तो आख़िर बोनस और रिकवरी का क्या भरोसा या उम्मीद।

प्रमुख माँगे
सरदार वल्लभ भाई पटेल के एमडी का ट्रांसफ़र किया जाये
गन्ने के बचे हुए शेष राशि को तत्काल किसान को दिया जाए
शक्कर रिकवरी में हुए करोड़ों के नुक़सान की जाँच उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा किया जाये
आवश्यकता से अधिक कर्मचारी को बाहर किया जाए
रिकवरी तथा बोनस की राशि को किसानों को तत्काल दिया जाये

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