बिलासपुर टाइम् न्यूज़
बिलासपुर। पिछले कुछ सालों से न्यायधानी बिलासपुर शिक्षा विभाग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में जानबूझकर लेट लतीफी कर रहा है या फिर गोलमाल जवाब देकर पल्ला झाड़ रहा है वजह सिर्फ एक है कि जानकारी से निकले दस्तावेजों से ना केवल भ्र्ष्टाचार उजागर हो रहा है बल्कि गड़बड़ियाँ सामने आ रही हैं सरकारी धन के दुरुपयोग की कहानी निकल कर आमजनता के सामने आ रही हैं, भ्र्ष्टाचार में शामिल अधिकारी और कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक हो रहे है। ऐसे में जहाँ सरकार की किरकिरी हो रही है ज्यादा ही गंभीर मामलों में जाँच बिठाया जा रहा है शायद इसलिए ही शिक्षा विभाग को काजल की कोठरी कहा जाता है।
जी हाँ ऐसा ही एक मामला कार्यालय कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक समग्र शिक्षा बिलासपुर छत्तीसगढ़ से निकल कर सामने आया है। जिसमें विकास खण्ड बिल्हा समन्वयक वासुदेव पांडेय शहरी स्रोत केंद्र समन्वयक बिल्हा जिला बिलासपुर अंतर्गत कुल 15 संकुल में एक संकुल केंद्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिजौर है यहाँ मनोज सिंह ठाकुर संकुल समन्वयक के पद पर पदस्थ हैं एवं संकुल प्राचार्य के रूप में श्रीमती हेमलता पांडेय पदस्थ थीं।
मतलब संकुल प्राचार्य और समन्वयक दोनों के द्वारा आपसी सहमति से फर्जी बिल लगा कर भ्र्ष्टाचार की स्क्रिप्ट बेखोफ लिखी जा रही थी,जैसे इन पर शिक्षा मंत्री या शिक्षा सचिव या फिर जिला कलेक्टर का वरदहस्त हो।
जानकारी के अनुसार संकुल केंद्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिजौर विकास खण्ड बिल्हा जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ के संकुल प्राचार्य एवं संकुल समन्वयक द्वारा राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा,छत्तीसगढ़ रायपुर से जारी समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट में प्राप्त स्वीकृति अनुदान राशि सूची जैसे मेंटेनेंस ग्रांट,टीएलएम ग्रांट,मीटिंग टीए एवं कंटीजेंसी ग्रांट में प्राप्त राशि का फर्जी बिल लगाकर गबन एवं भ्र्ष्टाचार के साथ साथ सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा था।
इस संबंध में आवेदक द्वारा लिखित शिकायत मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव,शिक्षा मंत्री,शिक्षा सचिव, समग्र शिक्षा,डीपीआई, कलेक्टर बिलासपुर और डीईओ बिलासपुर से की गई है।
सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार बिजौर संकुल को 2022 से 2025 तक चार वित्तीय वर्ष में कुल 3,66,174 (तीन लाख छैसठ हजार एक सौ चौहत्तर रुपए) की राशि मिली थी। जबकि बिलासपुर समग्र शिक्षा कार्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2022 से 2025 तक चार वित्तीय वर्ष में 4,88,830 रुपए जारी किए जाने की जानकारी दी है। जो भ्र्ष्टाचार गवाही देता है।
परिवहन घोटाला
100 पृष्ठों में सूचना के अधिकार में प्राप्त दस्तावेज जिसका अवलोकन करने पर परिवहन हेतु प्राप्त राशि का फर्जीवाड़ा सामने आया वह चौकाने वाला था।
उन तमाम जिम्मेदार अधिकारियों के निकम्मे पन का ज्वलंत उदाहरण है बिजौर संकुल केंद्र जहाँ कागजों में दुपहिया वाहनों का फर्जी बिल बना राशि आहरण कर ली गई है और आडिट भी हो गया है। मतलब जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर मौन हैं! कहीं यह जिम्मेदार तनख्वाह खोर अधिकारी भी इसमें शामिल तो नहीं?
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि संकुल प्राचार्य एवं संकुल समन्वयक मनोज सिंह ठाकुर द्वारा विभिन्न ट्रांसपोर्टरों का फ़र्जी बिल और फर्जीरूप से वाहनों का नम्बर दर्शाया गया है। चार वित्तीय वर्ष में कुल 30 से अधिक बार परिवहन कराया गया है जिसमें 20 से अधिक वाहन स्कूटी, स्कूटर, मोटरसाइकिल, और कार के नम्बरों का उपयोग किया गया है।
मजे की बात यह है कि बिल में क्रमांक ही नहीं हैं। आवेदक नें बिल में दर्शाये गए वाहनों के नम्बरों व प्रकार प्रमाणिकता हेतू आरटीओ बिलासपुर में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत गाड़ी नम्बरों की जानकारी मांगी गई तो पता चला कि फ़र्जी बिलों में परिवहन के लिए दर्शाया गया वाहन अधिकतर वाहनों के क्रमांक दुपहिया वाहनों के हैं।

बिल फ़र्जी है क्योंकि इसमें जो पता दर्शाया गया है वह उस क्षेत्र में नहीं है ना ही बिल में ट्रांसपोर्टर का कॉन्टेक्ट नम्बर दिया है ना ही मौके पर ट्रांसपोर्टर की शॉप है। ज्यादातर बिलों में परिवहन हेतू उपयोग किए गए वाहन मोटरसाइकिल, स्कूटी दुपहिया हैं, या फिर कार हैं। बिल में परिवहन की सामग्री का उल्लेख भी नहीं है। ऐसे कई देयक फ़र्जी रूप से बनाए गए हैं।
पृष्ठ क्रमांक 96,97,98,99 में टी आर भाष्कर ट्रांसपोर्ट बिलासपुर का परिवहन हेतु दी गई पावती संदेह पैदा करनें के साथ साथ व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल करती है।
गरीब जनता जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं उनके पालकों को भी नहीं मालूम कि सरकार उनके बच्चों की पढ़ाई और शिक्षकों की तनख्वाह के अलावा भी अन्य कार्यों के लिए संकुलों को एक बड़ी राशि भेजती है ताकि बच्चों के हित में काम हो सके। सूचना के अधिकार 2005 के लागू होने के 20 सालों बाद भी शिक्षा अधिकारियों की कुभकर्णीय नींद और उदासीनता के कारण हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में ना सूचना के अधिकार का कोई बोर्ड लगाया गया हैना कोई जानकारी दी जाती है।
एक तरफ सरकार छत्तीसगढ़ स्थापना के 25 वां वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती समारोह मना रही थी वहीं प्रदेश में सूचना का अधिकार के फर्जीवाड़े की खबर से सरकारी स्कूल के शिक्षकों का चाल,चरित्र और चेहरा उजागर हो रहा था। जो सरकार की क्षवि धुमिल करनें जैसा ही है।
जनता का मानना है कि सरकारी शिक्षा का हाल बेहाल है फर्जीवाड़ा चरम पर है शिक्षा मंत्री को चाहिए कि गलत तरीके से शासकीय राशि का अनुचित व्यय को रोका जा सके और ईमानदारी से शासकीय कार्य करने वाले कर्मचारियों में उत्साह एवं विश्वास बहाल रह सके ऐसा कोई ठोस कदम उठाए।
बुद्धिजीवी कहते हैं कि सबसे पहले तो कलेक्टर बिलासपुर को चाहिए कि बिजौर संकुल के समस्त आय व्यय के दस्तावेज की निष्पक्ष जांच का आदेश जारी करें ताकि फर्जीवाड़े से सरकार के खजाने को हो रहे भारी नुकसान बचाया जा सके,और भविष्य में गंभीर वित्तीय अनियमितता पर रोक लगे।
बहरहाल ये गड़बड़ घोटाला ये भ्र्ष्टाचार सिर्फ बिल्हा विकास खण्ड के एक बिजौर संकुल का नहीं है बल्कि जिला,और प्रदेश भर के तमाम जिले में संचालित संकुल प्राचार्य और संकुल समन्वयक को प्राप्त राशि में किए गए भ्र्ष्टाचार की बानगी है इसलिए कलेक्टर इस मामले की तुरंत निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें और फर्जी बिलों को रद्द करवाकर वसूली सुनिश्चित करें।
क्रमशः .......
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