"घमंड की फ्लॉप शो: Dilesh Sahu की 'Janaki' बिना रिलीज़ ही गुमनाम — नायक से खलनायक बनने की पूरी कहानी"

छत्तीसगढ़ी सिनेमा का एक नाम जो कभी खुद को "स्टार" कहलवाने की ज़िद में जी रहा था — आज उसी का नाम गुमनामी, विवाद और नफ़रत का पर्याय बन चुका है।
हम बात कर रहे हैं Dilesh Sahu की — जिसकी बहुप्रचारित फिल्म "Janaki" तमाम कोशिशों के बावजूद रिलीज़ तक नहीं पहुँच पाई, और अब मानो चुपचाप दफन सी हो गई।

 धर्म का अपमान, जेल की हवा

"Janaki" के नाम पर धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल तो किया गया, लेकिन खुद Dilesh ने न ही देवी के स्वरूप का आदर किया, न ही कथा की मर्यादा का।
शूटिंग के दौरान धार्मिक स्थल पर दुर्व्यवहार और अभद्र आचरण के चलते जब मामला बढ़ा, तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
Dilesh को गिरफ्तार करना प़डा और जेल तक जाना पड़ा, लेकिन शर्म या पछतावे के बजाय उन्होंने इसे भी "पब्लिसिटी स्टंट" बताने की कोशिश की।

 पत्रकार को दी धमकी — जब सच चुभा

जब बिलासपुर TIME ने Dilesh Sahu की फ्लॉप फिल्मों, बनावटी स्टारडम और भाई-भतीजावाद की परतें खोलनी शुरू कीं —
तो जवाब में तर्क नहीं, बल्कि धमकी और ब्लॉक मिले।

पत्रकार को धमकी देना, सवालों से भाग जाना, और मीडिया से दूरी बना लेना — Dilesh का वही असली चेहरा सामने लाया, जो आज सिनेमा से ज़्यादा अहंकार में घिरा हुआ लगता है।

 नायक से खलनायक — गिरावट की पूरी पटकथा

जो खुद को नायक कहता था, वो अब पत्रकारों से डरता है

जो पर्दे पर हीरो था, वो असल ज़िंदगी में अहंकार का प्रतीक बन गया

जिसे रिलीज़ की तैयारी करनी थी, वो खुद को सफाई देने में थक गया

जिसके फिल्म सिनेमा घरों में लगने थे, अब उसका चेहरा मीडिया में भी ग़ायब है

Dilesh Sahu की कहानी सिर्फ एक कलाकार की नहीं, बल्कि उस घमंड की भी है जो सच्चाई से डरता है, और सच बोलने वालों को रोकना चाहता है।
लेकिन इतिहास गवाह है —

"जहाँ आवाज़ उठती है, वहाँ झूठ नहीं टिकता।"

अब Dilesh को ये समझ लेना होगा —

स्टार बनने के लिए किरदार चाहिए होता है, और किरदार बनने के लिए ज़मीन।
जिसके पास न ज़मीन हो, न ज़मीर — वो सिर्फ खलनायक बनता है?

बिलासपुर TIME | सच के साथ, निडर आवाज़

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