क्या फिर छत्तीसगढ़ी सिनेमा में छिड़ेगा पोस्टर युद्ध? ‘जीत्तू की दुल्हनिया’ बनाम ‘मोहि डारे 2’ की टकराहट से पहले ही गरमाया माहौल!

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में एक बार फिर दो फिल्मों की भिड़ंत होने वाली है — 25 जुलाई को ‘जीत्तू की दुल्हनिया’ और 1 अगस्त को ‘मोहि डारे 2’ रिलीज़ हो रही है। दोनों फिल्मों के बीच महज़ 1 सप्ताह का अंतर है, और सवाल ये उठता है कि आखिर ये भविष्यवाणी किसने की कि पहली फिल्म सिर्फ एक हफ्ते ही चलेगी?

बात यहीं खत्म नहीं होती — जानकारों की मानें तो ‘जीत्तू की दुल्हनिया’ की रिलीज़ डेट पहले से फिक्स थी, लेकिन अचानक ‘मोहि डारे 2’ को उसके बिल्कुल बाद में रिलीज़ करना क्या कोई सोची-समझी रणनीति है?

याद कीजिए, कुछ महीनों पहले ‘टीना टप्पर’ और ‘डोली लेके आजा’ के दौरान पोस्टर वॉर देखने मिला था। एक फिल्म के ऊपर दूसरी फिल्म के पोस्टर चिपकाए गए, और विवाद ने पोस्टर से पोस्ट तक का सफर तय किया था। अब फिर वही माहौल बनता दिख रहा है — क्योंकि जैसे ही पहली फिल्म के पोस्टर लगेंगे, दूसरी के प्रचार की होड़ भी शुरू हो जाएगी, और सड़कों पर जगह तो सीमित है!

चौंकाने वाली बात ये है कि ‘मोहि डारे 2’ के डिस्ट्रीब्यूटर वही हैं जो उस समय ‘डोली लेके आजा’ के भी थे। क्या उन्हें पहले से पता होता है कि कौन-सी फिल्म कितने दिन चलेगी? अगर ऐसा है तो फिल्म इंडस्ट्री को इनसे भविष्य बतवाकर फिल्में रिलीज़ करनी चाहिए — ताकि नुकसान से बचा जा सके!

क्या ये संयोग है या एक सोची-समझी साज़िश?
क्या पोस्टर युद्ध का नया सीज़न शुरू होने वाला है?
और क्या दर्शक इस भिड़ंत में असली सिनेमा से भटक जाएंगे?

इन सवालों के जवाब आने वाले हफ्तों में सामने आएंगे, लेकिन एक बात तय है — छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री अब सिर्फ फिल्मों की नहीं, रिलीज़ की राजनीति की भी ज़मीन बन चुकी है।

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