"मोहीडारे-2 ’ के मेकअप आर्टिस्ट का दर्द: 1 साल से नहीं मिला मेहनताना, निर्माता बना रहे बहाने!"



बिलासपुर/
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री का असली चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। फिल्म ‘मोहीडारे-2 ’ की मेकअप आर्टिस्ट अंजू उरांव ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर कर फिल्म के निर्माता-निर्देशक अनुपम वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंजू का दावा है कि उन्होंने फिल्म में पूरा मेकअप का काम किया, लेकिन करीब एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद उन्हें मेहनताना नहीं दिया गया।

अपने फेसबुक पोस्ट में अंजू ने लिखा:

"मैंने उस फिल्म में मेकअप का काम किया था, पर अब न कॉल उठाया जाता है, न मैसेज का जवाब मिलता है। जब पैसे मांगने गई तो कहा गया कि ‘तुम शिकायत कर रही हो, मैं तुमसे नाराज़ हूं।’ क्या अब मेहनताना मांगना भी नाराज़गी की वजह हो गई है?"

उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म जल्द रिलीज़ होने वाली है, लेकिन उनका बकाया अभी तक नहीं मिला। अब सवाल उठता है कि एक इंडस्ट्री जो कलाकारों के सहयोग से ही सांस लेती है, वहां ऐसे बर्ताव का क्या औचित्य है?

क्या फिल्म इंडस्ट्री में मेहनत की कीमत नहीं?
यह कोई पहली घटना नहीं है जब लो-बजट फिल्म निर्माताओं पर तकनीकी या रचनात्मक सहयोगियों का शोषण करने का आरोप लगा हो। अक्सर कैमरे के पीछे काम करने वाले लोग—जैसे मेकअप आर्टिस्ट, लाइटमैन, सेट असिस्टेंट—की मेहनत का भुगतान महीनों या सालों तक नहीं होता।

अन्य कलाकारों के लिए चेतावनी:
अंजू ने अपनी पोस्ट में अन्य कलाकारों को चेताया कि ऐसे लोगों के साथ काम करने से पहले सौ बार सोचें, और पहले ही अनुबंध व भुगतान की गारंटी लें।

क्या जवाब देंगे अनुपम वर्मा?
इस पूरे मामले पर निर्देशक अनुपम वर्मा की चुप्पी संदेह पैदा कर रही है। अगर आरोप झूठे हैं तो वे सामने क्यों नहीं आते? और अगर सच हैं, तो कलाकारों का भरोसा कब तक यूं ही तोड़ा जाएगा?

"छत्तीसगढ़ी फिल्में सिर्फ ग्लैमर नहीं, ज़िम्मेदारी भी मांगती हैं" — यह घटना इंडस्ट्री के भीतर की उस सच्चाई को उजागर करती है, जो पर्दे की चकाचौंध में छिप जाती है।

अगर आपके पास भी है किसी फिल्म या निर्माता से जुड़ा ऐसा अनुभव, तो हमें लिखें। 'बिलासपुर टाइम' आपके हक की आवाज़ बनेगा।

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