"साहित्य, साधना और सेवा का अनूठा संगम: पुलिस विभाग में कार्यरत H.S. ठाकुर दे रहे हैं समाज को नई दिशा"

सक्ती (छत्तीसगढ़)। 
जहां आमतौर पर पुलिस विभाग को सिर्फ अनुशासन और कर्तव्य से जोड़ा जाता है, वहीं H.S. ठाकुर एक ऐसा नाम बनकर उभरे हैं, जो राम नाम की साधना, साहित्यिक सृजन और सुरों की साधना को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर समाज के लिए एक प्रेरणास्तंभ बन चुके हैं।
 
पुलिस विभाग में पदस्थ रहते हुए, H.S. ठाकुर ने न सिर्फ कानून व्यवस्था को संभालने में योगदान दिया, बल्कि विगत 4–5 महीनों से नियमित रूप से अपने हाथों से दैनिक रूप से "राम" नाम की लिपि में लाखों बार लेखन कर चुके हैं। अब तक उनके द्वारा लिखा गया राम नाम 4–5 लाख की संख्या को पार कर चुका है।
 
 साहित्यिक साधना भी अद्वितीय:
 
H.S. ठाकुर का साहित्य प्रेम किसी एक विधा तक सीमित नहीं है। वर्ष 2020 से अब तक वे 10 से 12 हजार साहित्यिक रचनाएं लिख चुके हैं, जिनमें शामिल हैं – गीत, ग़ज़ल, दोहा, छंद, रोला, मुक्तक, चौपाई, हाइकु, शायरी, काव्य-चित्र, संस्मरण और कहानी आदि। उनकी लेखनी में केवल कल्पना नहीं, एक साधक का अनुभव और संवेदना झलकती है।
 
संगीत से भी है गहरा नाता:
 
H.S. ठाकुर ने गंधर्व महाविद्यालय, मुम्बई से शास्त्रीय संगीत की मध्यमा स्तर तक की शिक्षा प्राप्त की है। उन्हें हल्का-फुल्का तबला वादन का ज्ञान भी है, जिससे उनकी कलात्मकता और भी व्यापक हो जाती है।
 
अध्यात्म में भी अग्रणी:
 
वर्तमान में वे "राजविद्या केन्द्र, सहूरपुर (नई दिल्ली)" से जुड़े हुए हैं और अपने साथियों के साथ आध्यात्मिक विज्ञान और सत्संग के माध्यम से ईश-दर्शन की अनुभूति करते हैं। यह उनके चरित्र की गहराई और आत्मिक चेतना को दर्शाता है।
 
 देशभक्ति और जनसेवा का संकल्प:
 
इन सबके बीच H.S. ठाकुर का जीवन जनसेवा और राष्ट्रभक्ति के संकल्प से परिपूर्ण है। वे अपने दायित्वों के साथ-साथ समाज को सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने का कार्य कर रहे हैं।
  
H.S. ठाकुर जैसे व्यक्तित्व हमें यह सिखाते हैं कि अगर मन में संकल्प हो, तो एक पुलिस अधिकारी भी एक साधक, कलाकार, साहित्यकार और सेवक बन सकता है।
 
बिलासपुर TIME के लिए — शेष यादव की विशेष रिपोर्ट।

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