रायपुर।
छत्तीसगढ़ की पावर कंपनियों में हाल ही में लिए गए निर्णय से प्रदेश के इंजीनियरों और बेरोज़गार युवाओं में गहरी नाराज़गी है। CSPDCL और CSPGCL में जूनियर इंजीनियर (JE) से असिस्टेंट इंजीनियर (AE) पदोन्नति का कोटा घटाए जाने के खिलाफ डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है।
एसोसिएशन का कहना है कि इस आदेश से जे.ई. को अब पदोन्नति के लिए 25 वर्ष तक का लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा, जबकि आने वाले वर्षों में ए.ई. के सैकड़ों पद स्वतः रिक्त हो रहे हैं।
फैसला क्यों विवादित है?
CSPTCL में पहले से ही केवल 20% पदोन्नति कोटा लागू है, जिसे बढ़ाकर 70% करना चाहिए था, लेकिन उल्टा कदम उठाते हुए CSPDCL और CSPGCL में भी कोटा घटा दिया गया।
यदि सभी कंपनियों में कोटा 70% रखा जाए, तो लगभग 300 जूनियर इंजीनियरों की नई भर्ती संभव है, जिससे छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
जे.ई. भर्ती सिर्फ़ छत्तीसगढ़ के स्थानीय अभ्यर्थियों से होती है, जबकि ए.ई. की भर्ती में बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को भी मौका मिलता है। ऐसे में यह निर्णय प्रदेश के बेरोज़गार युवाओं के हक़ को सीधा नुकसान पहुँचाने वाला माना जा रहा है।
एसोसिएशन का दावा है कि इस आदेश से कंपनी पर लगभग 168 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी पड़ेगा।
एसोसिएशन की आपत्तियाँ
डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन ने कहा कि—
1. यह निर्णय छत्तीसगढ़ के हजारों बेरोज़गार इंजीनियरों के साथ छलावा है।
2. विभाग जानबूझकर बाहरी अभ्यर्थियों की भर्ती को प्राथमिकता दे रहा है।
3. समाधान केवल प्रमोशन कोटा घटाने में नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भर्ती और पदोन्नति बढ़ाने में है।
मुख्यमंत्री से मुलाक़ात और आश्वासन
डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल रायपुर से ग्राम बगिया पहुँचा और मुख्यमंत्री को ग्यापन सौंपा।
इस प्रतिनिधिमंडल में संघ के अध्यक्ष बी.बी. जायसवाल और प्रांतीय महासचिव समीर पांडेय समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने उनकी चिंताओं को गंभीरता से सुनते हुए आश्वासन दिया कि—
सरकार इस आदेश की समीक्षा करेगी।
छत्तीसगढ़ के बेरोज़गार इंजीनियरों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।
0 Comments