क्राइम ब्रांच की नाकामी – बिलासपुर में चोरों का हौसला बुलंद, आम जनता बेहाल


बिलासपुर।
शहर में क्राइम ब्रांच का होना या न होना अब बेमानी लगने लगा है। जिस उद्देश्य से इसका गठन किया गया था, वह उद्देश्य तो पूरा ही नहीं हो रहा। बड़े-बड़े दावे करने वाली क्राइम ब्रांच असलियत में सिर्फ नाम की रह गई है।

हर रोज़ कहीं न कहीं से बाइक चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं। महंगी से महंगी बाइकें चोर चुटकियों में गायब कर रहे हैं। हालत यह है कि चोरी हुई बाइक वापस मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो गया है। वजह साफ़ है – चोरों को भी यकीन है कि पुलिस उन तक कभी पहुँच ही नहीं पाएगी।

क्राइम ब्रांच की “असली ताक़त” का सच यह है कि जब भी कोई बड़ी वारदात होती है, यह टीम अकेले उसे सुलझा ही नहीं पाती। संबंधित थाने के सहारे ही कागज़ी कार्रवाई आगे बढ़ती है। सवाल उठता है कि फिर आखिर क्राइम ब्रांच के नाम पर खर्च होने वाले संसाधनों का क्या फायदा?

पीड़ित लोग थानों का चक्कर काटते रहते हैं। उच्च अधिकारी आदेश देते हैं, वह आदेश नीचे जाता है, फिर और नीचे… और अंत में परिणाम शून्य। जनता की उम्मीदें टूट जाती हैं और चोरों का मनोबल और भी बढ़ जाता है।

लोग कहते हैं – “हम खून-पसीना बहाकर किस्तों में बाइक खरीदते हैं और चोर एक झटके में ले जाते हैं, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है।”

अब बड़ा सवाल यही है कि अगर अपराधियों पर नकेल कसना ही नहीं है, तो आखिर बिलासपुर में क्राइम ब्रांच की जरूरत क्या है?

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