शहर के यातायात चालान कंट्रोल रूम में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का बेरुख़ रवैया आम लोगों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। हालात ऐसे हैं कि जनता की समस्याओं के समाधान की जगह यहां ‘ज्ञान’ का फ्री वितरण हो रहा है—और शायद यही वजह है कि अधिकारियों को जमीनी हकीकत का अंदाज़ा तक नहीं है।
कुछ दिन पहले ही एसएसपी ने अपने स्टाफ पर कंट्रोल न रख पाने के कारण एक थाना प्रभारी को लाइन अटैच किया था। लेकिन उससे कोई सबक नहीं लिया गया। ताज़ा मामला यातायात कंट्रोल रूम का है, जहां एक प्रार्थी ने अपने चोरी हुए वाहन का सीसीटीवी फुटेज देखने का निवेदन किया—जो आम जनता की सुविधा के लिए लगाया गया है।
जवाब में वहां मौजूद यातायात कर्मी बांके बिहारी मिश्रा ने ताने भरा जवाब दिया—
"अगर चोर दिख भी जाएगा तो क्या उसके माथे पर एड्रेस लिखा होगा, जो घर तक पहुंच जाओगे? हम लोग ज्ञान के अलावा कुछ नहीं दे सकते।"
यह बयान न सिर्फ संवेदनहीनता की हद दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि जनता की मदद के नाम पर बनाए गए कंट्रोल रूम का असली मकसद कहीं गुम हो गया है। सवाल उठता है—क्या कंट्रोल रूम चोर पकड़ने के लिए है, या सिर्फ जनता का मजाक उड़ाने के लिए?
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