छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘जानकी भाग 1’ की रिलीज़ से ठीक पहले सेंसर विवाद की आड़ में अब बड़ा खुलासा सामने आया है। फिल्म के निर्माता मोहित साहू जहां सेंसर बोर्ड से नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं, वहीं अब उनके ऊपर ‘सेंसर ड्रामा’ रचने के आरोप लगने लगे हैं। बिलासपुर TIME को एक सूत्र ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर जो जानकारी दी है, वह इस पूरे विवाद की सच्चाई पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
हाल ही में मोहित साहू ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर बताया कि ‘जानकी भाग 1’ को अब तक सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिला है, जबकि फिल्म की रिलीज़ डेट 13 जून रखी गई थी। उन्होंने इसे एक ‘अन्याय’ बताया और इस पर नाराज़गी जाहिर की।
लेकिन इसके ठीक बाद सोशल मीडिया पर दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों ने कड़े सवाल उठाए:
> "कौन सी फिल्म मेकर रिलीज़ से महज़ दो दिन पहले सेंसर के लिए आवेदन करता है?"
"क्या यह कोई रणनीति है दर्शकों की सहानुभूति बटोरने की?"
इसी बीच बिलासपुर TIME को एक विश्वसनीय सूत्र ने दावा किया है कि —
> "फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट मिल चुका है, लेकिन चूंकि फिल्म को उतने थिएटर नहीं मिले जितने मोहित साहू को चाहिए थे, इसलिए यह सेंसर विवाद का नाटक किया जा रहा है।"
सूत्र ने यह भी कहा कि यह पूरा हंगामा एक प्रायोजित तमाशा है, ताकि फिल्म को प्रचार मिल सके और सहानुभूति की लहर बनाई जा सके।
प्रमुख सवाल जो अब उठ रहे हैं:
1. अगर वाकई में सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रोका है, तो उसकी लिखित आपत्ति या नोटिस सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?
2. फिल्म का ट्रेलर और गाने पहले ही सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर जारी किए जा चुके थे, तो क्या सेंसर की प्रक्रिया तब भी पूरी नहीं की गई थी?
3. अगर सर्टिफिकेट मिल चुका है, तो इसे छिपाने और ‘प्रताड़ित फिल्मकार’ बनने की कोशिश क्यों की जा रही है?
यह पहला मामला नहीं है जब रिलीज़ से पहले सेंसर विवाद को प्रचार का हथियार बनाया गया हो। लेकिन इस बार आरोप कहीं ज़्यादा गंभीर हैं क्योंकि इसमें दर्शकों की भावनाओं और इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा दोनों को दांव पर लगाया गया है।
अगर फिल्म को थिएटर कम मिले हैं, तो यह अलग व्यावसायिक मामला है। लेकिन इसे सेंसर विवाद का रूप देकर प्रचार हथकंडा बनाना दर्शकों के साथ छल जैसा है।
अब बॉल मोहित साहू के पाले में है। अगर वे सही हैं, तो सेंसर बोर्ड की लिखित आपत्तियों और रुकावटों को सार्वजनिक करें। और अगर यह सब महज़ प्रचार का प्रपंच है, तो दर्शकों को मूर्ख समझने की भूल न करें।
सवाल यह नहीं कि ‘जानकी भाग 1’ को सर्टिफिकेट मिला या नहीं... सवाल यह है कि सच्चाई क्यों नहीं बताई जा रही?
"अगर सेंसर ने नहीं रोका, तो फिर कौन झूठ बोल रहा है?"
"और अगर सेंसर ने रोक लगाया है तो आखिर पूरा मामला क्या है "?
"क्या मोहित साहू सहानुभूति के नाम पर खेल रहे हैं एक स्क्रिप्टेड ड्रामा?"
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