27 जुलाई 2025 | विशेष रिपोर्ट — 'बिलासपुर TIME'
छत्तीसगढ़ के राजस्व अमले ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले राज्यभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 28 जुलाई से "संसाधन नहीं तो काम नहीं" के नारे के साथ चरणबद्ध आंदोलन करने जा रहे हैं।
संघ के अनुसार, लंबे समय से संसाधनों की कमी, पदोन्नति में अनियमितता, और प्रशासनिक उपेक्षा को लेकर अधिकारी मानसिक दबाव में हैं। कई बार शासन को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन मिले, समाधान नहीं।
आंदोलन की रूपरेखा:
28 जुलाई – जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन
29 जुलाई – संभाग स्तर पर धरना प्रदर्शन
30 जुलाई – प्रांत स्तरीय महाधरना
ये हैं अफसरों की बड़ी मांगें:
1. डिप्टी कलेक्टर पद पर 50:50 पदोन्नति का अनुपात पुनः बहाल हो।
2. नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा मिले (पूर्व घोषणा अनुसार)।
3. हर तहसील में स्थायी स्टाफ, शासकीय वाहन, ड्राइवर और ईंधन की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
4. न्यायिक कार्यों के दौरान ‘न्यायिक संरक्षण अधिनियम’ लागू किया जाए।
5. सभी 17 सूत्रीय मांगों पर तत्काल सकारात्मक पहल हो।
संघ का कहना है कि यह आंदोलन केवल अधिकारों की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे राजस्व तंत्र को सक्षम और प्रभावी बनाने की मांग है। यदि शासन ने अब भी आंखें मूंदी रखीं, तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल की ओर बढ़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी।
'बिलासपुर TIME' का विश्लेषण:
राज्य की राजस्व व्यवस्था पहले ही सीमित संसाधनों में चल रही है। यदि तहसीलदार और नायब तहसीलदार जैसे मैदानी प्रशासन के स्तंभ सड़क पर उतरते हैं, तो संपत्ति पंजीयन, राजस्व वसूली, और ग्रामीण प्रशासन पूरी तरह ठप हो सकता है।
यह आंदोलन राजनीतिक गलियारों में भी हलचल पैदा कर सकता है।
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