सीजी फिल्म इंडस्ट्री में ब्लैक मनी वाइट करने का खुलासा
छत्तीसगढ़ी सिनेमा का असली पर्दा अब उठ चुका है। यहां कला, कहानी और दर्शक – सब पीछे छूट चुके हैं। आगे है सिर्फ पैसे का खेल… एक ऐसा खेल जिसमें जितनी बड़ी फ्लॉप फिल्म, उतना बड़ा मुनाफा।
सूत्रों की माने तो खुलासा चौंकाने वाला है –
एक फिल्म बनाने में असली खर्च: लगभग 50 लाख रुपये।
कागज़ों में दिखाया खर्च: 7 से 10 करोड़ रुपये।
बॉक्स ऑफिस पर फिल्म बुरी तरह पिटने के बावजूद, मेकर्स के चेहरे पर मुस्कान।
ये मुस्कान क्यों?
क्योंकि ये फिल्म असल में बनाई ही गई थी ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए।
बड़े-बड़े निवेशक, जो टैक्स चोरी या गैरकानूनी कमाई छिपाना चाहते हैं, फिल्म प्रोडक्शन में पैसा लगाते हैं।
फिर चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) के कागज़ी जादू से पचास लाख का खर्च, दस करोड़ की “आधिकारिक लागत” बन जाता है।
नतीजा:
असली ब्लैक कैश – सफेद हो जाता है।
सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान।
और दर्शक को मिलती है एक घटिया, बेमन की फिल्म।
असली हीरो कौन?
ना कलाकार, ना निर्देशक… इस खेल का असली हीरो है CA
जो 30 लाख की फिल्म को कागज़ों में 10 करोड़ की फ्लॉप साबित कर देता है।
सेट का नज़ारा
हर हाथ में बिसलेरी, लग्ज़री लोकेशन, खर्च का दिखावा – लेकिन असल में ये सिर्फ एक परदा है। इसके पीछे का सच है धोखा और हेरा-फेरी।
सबसे बड़ा सवाल
क्या छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री कला का मंच है या मनी लॉन्ड्रिंग का अड्डा?
क्या हम दर्शक सिर्फ उनकी टैक्स चोरी का हिस्सा बन चुके हैं?
अगला खुलासा
हम बताएंगे कि कैसे 30 लाख की फिल्म को 7-10 करोड़ की फ्लॉप दिखा कर, करोड़ों का काला धन “कानूनी” सफेद किया जाता है।
अगर आप भी कला से प्यार करते हैं और ईमानदारी में यकीन रखते हैं, तो इस खबर को फैलाएं।
सवाल पूछें – जवाब मांगें।
लेकिन ऐसे लोगों के साथ आज भी कला से सच्चा प्यार करने वाले कलाकार और फिल्म निर्माण के लिए जुनून रखने वाले कुछ निर्माता भी है! जो फिल्म के माध्यम से समाज को आईना दिखाते हैं।
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